Ganesh Chaturthi 2024: हरे कृष्णा गणपति बाप्पा की जय। हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना जाता है और वह सभी गणों के स्वामी हैं। इसके अलावा, गणेश भगवान की पूजा करने से ना केवल सुख समृद्धि, बल्कि ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। किसी भी नए काम की शुरुआत अगर गणेश भगवान का नाम लेकर की जाए, तो वह कार्य हमेशा सफल होता है।
वैसे तो हर दिन ही गणेश भगवान की पूजा की जाती है, लेकिन विशेष रूप से सप्ताह में बुधवार का दिन भगवान की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसके अतिरिक्त, वहीं विशेष फलों की प्राप्ति के लिए भाद्र पद्मा और भी शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में भाद्रपद मास को भगवान गणेश के जन्म से जुड़ा बताया गया है। वास्तव में, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ही भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए, हर साल इस तिथि को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो लगभग 10 दिनों तक चलता है और जिसे गणेशोत्सव भी कहते हैं।
इस साल गणेश चतुर्थी का यह पावन उत्सव 7 सितंबर से शुरू होगा, जबकि गणेश विसर्जन यानी अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर के दिन होगा। इसके अलावा, गणेश चतुर्थी के दिन भक्त अपनी अपनी सामर्थ्य और श्रद्धा के अनुसार गणेश भगवान की मूर्ति को अपने घर पर स्थापित करते हैं, फिर विराजित करते हैं और विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं। इस दौरान, वास्तव में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। गणेश चतुर्थी के दिन इस बार ब्रह्म योग और चित्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जो कि इस तिथि के महत्व को और अधिक बढ़ा रहे हैं।
गणपति बाप्पा की मूर्ति को कुछ लोग डेढ़ दिन के लिए, 3 दिन, 5, 7 या फिर 11 दिन के लिए स्थापित करते हैं। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन, एक बात का ध्यान सभी भक्तों को रखना चाहिए कि इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने के बाद, रात के समय चंद्र देवता के दर्शन नहीं करने चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से झूठा कलंक लगता है।”
चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी 6 सितंबर शुक्रवार की दोपहर 3:2 से, और इसके बाद 7 सितंबर शनिवार की शाम 5:37 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए, 7 सितंबर को ही चतुर्थी का उत्सव मनाया जाएगा। इसके अलावा, सितंबर शनिवार को सूर्योदय सुबह 6:14 पर और सूर्यास्त शाम 6:34 पर होगा। इसके साथ ही, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:38 से 5:26 तक रहेगा, जबकि अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12:49 तक रहेगा। इसके बाद, ब्रह्म योग रात 11:01 तक रहेगा; इसके बाद इंद्र योग प्रारंभ हो जाएगा। इसके अतिरिक्त, इस दिन राहुकाल सुबह 9 से 10:30 बजे तक रहेगा। अंत में, गणेश भगवान की पूजा का और स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त 7 सितंबर को सुबह 11:03 से दोपहर 1:34 तक रहेगा।
गणेश भगवान की पूजा तीनों पहर की जाती है। सबसे पहले, सुबह, फिर मध्यान और अंत में शाम के समय। गणेश चतुर्थी के दिन, चंद्रोदय सुबह 9:29 पर होगा और चंद्रास रात 8:57 पर होगा। इसके अलावा, चतुर्थी के व्रत में भगवान गणेश जी के अलावा चंद्र देवता की पूजा की जाती है। इसलिए, इस दिन रात को चंद्र देवता को अर्घ देते समय, चंद्र देवता की ओर देखे बिना ही, उनके दर्शन किए बिना ही पूजा करनी चाहिए, अर्थात् अर्घ देना चाहिए।
आज के दिन, इसलिए गणेश भगवान की प्रतिमा को पूरी तरह से लाल या पीले वस्त्र से ढककर घर के अंदर लाना चाहिए। इसके अलावा, जिस प्रतिमा में गणेश भगवान की दाईं तरफ मुड़ी हुई और उनके हाथ में लड्डू या मोदक विराजमान होते हैं, ऐसी प्रतिमा पूजा करने के लिए बहुत ही शुभ फलदाई होती है।
इसके अलावा, गणेश भगवान जी की प्रतिमा बैठी हुई हो, साथ में मोशक भी विराजमान हो, ऐसी ही प्रतिमा का चुनाव करना चाहिए। इसके साथ ही, गणेश स्थापना के दौरान घर में किसी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए; इसके बजाय, केवल सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए। इसके अलावा, गणेश भगवान जी को तीनों पहर भोग भी लगाना चाहिए।