janmashtami ki puja kaise kare: मृदु हास्य करने वाले तेज से चमकने वाले हमेशा लोगों का चित्त आकर्षित करने वाले अत्यंत मधुर बांसुरी बजाने वाले बाल कृष्ण का मैं मन से स्मरण करता हूं। पीला पीतांबर मोर मुकुट धारी कानों में कुंडल मुख पर बांसुरी सुहानी और साथ में गैया लेकर आ रहे हैं। हमारे लड्डू गोपाल जी हां हमारे परम भगवान श्री कृष्ण का आविर्भाव दिवस आ चुका है तो चलिए तैयार हो जाइए सबके दुलारे श्री कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव मनाने के लिए जिन्होंने अपनी मधुर लीला से सबका मन मोहित किया है कभी व्रज की मिट्टी खाकर यशोदा मैया को अपने मुख में पूरे ब्रह्मांड का दर्शन करवाया। तो कभी गोपियों का माखन चुराया कभी मधुर बांसुरी के सुर से सारी सृष्टि को मोहित किया।
भगवान श्री कृष्ण ने इतनी लीलाएं की हैं कि उसे सुनकर आज भी हमारा मन गोकुल की उन गलियों में घूमने लगता है। तो हमारे नटखट बाल गोपाल के जन्मदिन का उत्सव कैसे मनाना चाहिए। यही सोच रहे हैं तो चलिए, आज हम आपको बताते हैं कि इस जन्माष्टमी के महापर्व के अवसर पर परम भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन कैसे मनाएं जिससे प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण हमें उनकी शुद्ध प्रेमा भक्ति प्रदान करें
सबसे पहले हम आपको बता दें कि इस बार जन्माष्टमी आ रही है 26 अगस्त 2024 सोमवार के दिन इस दिन ब्रह्म मुहूर्त का समय रहेगा प्रातः 4:23और सूर्योदय होगा 5;59 पर इस व्रत का पारण करने का समय रहेगा अगले दिन यानी 27 अगस्त को प्रातः 5:57 पर है । कई स्थानों पर लोग म मध्यरात्रि में भगवान श्री कृष्ण का अभिषेक करने के बाद ही इस व्रत का अन्न युक्त प्रसाद के साथ पारण कर लेते हैं। लेकिन आदर्श स्थिति तो यही है कि इस व्रत का पारण अगले दिन सुबह किया जाए और तभी अन्न प्रसाद लिया जाए भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की इस अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का सुयोग है।
और यह वही अत्यंत सौभाग्यशाली दिन है जब परम भगवान श्री कृष्ण आज से 5000 वर्ष पूर्व अपने भक्तों को आनंद प्रदान करने धर्म की स्थापना करने और असुरों का संहार करने के लिए इस पवित्र भारत भूमि में प्रकट हुए थे। जिनके दर्शन मात्र से प्राणियों के घट घट के संताप दुख पाप मिट जाते हैं। जिन्होंने इस सृष्टि को गीता का उपदेश देकर उसका कल्याण किया जिसने अर्जुन को कर्म का सिद्धांत पढ़ाया यह उनका जन्मोत्सव है। हमारे वेदों में चार रात्रि हों का विशेष महत्व बताया गया है दीपावली, जिसे काल रात्रि कहते हैं, शिवरात्रि महा रात्रि है होली जिसे अहो रात्रि कहते हैं और श्री कृष्ण जन्माष्टमी को मोह रात्रि कहते हैं।
जिनके जन्म के संयोग मात्र से बंदी गृह के सभी बंधन स्वतः ही खुल गए। सभी पहरेदार घोर निद्रा में चले गए मां यमुना जिनके चरण स्पर्श करने को आतुर हो उठी उस भगवान श्री कृष्ण को संपूर्ण सृष्टि को मोह लेने वाला अवतार माना गया है। इसी कारण वश जन्माष्टमी की रात्रि को मोह रात्रि भी कहा जाता है। इस दिन उपवास करके भगवान श्री कृष्ण का ध्यान नाम अथवा मंत्र जपते हुए उनकी आराधना करने से संसार की मोह माया से मुक्ति मिल जाती है।
जो मनुष्य भक्ति पूर्वक भगवान की प्रिया जन्माष्टमी जयंती का व्रत करता है उस व्रत के समान राधा और श्री कृष्ण का प्रिय ना तो वेदों में कोई बताया गया है और ना ही पुराणों में।
तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि इस अत्यंत प्रिय जन्माष्टमी व्रत का पालन करने की संपूर्ण व्रत विधि क्या है तो देखिए इस व्रत का पालन हमें तीन प्रकार से करना चाहिए शरीर से, मन से, और धन से शरीर द्वारा इस दिन हमें तपस्या करनी चाहिए। यह तपस्या आप अपने घर पर रहकर भी कर सकते हैं। कैसे तो सबसे पहले जन्माष्टमी के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठ जाइए, यानी 4:00 बजे उठ के स्नान इत्यादि कार्यों से अपने शरीर को शुद्ध कर लीजिए उसके बाद अपने घर में पूजा के स्थान को स्वच्छ करिए और अपने गुरु का स्मरण करते हुए भगवान को जगाने के लिए मंगला आरती करिए
अगर आप घर पर नहीं कर सकते या फिर आपके नजदीक में कोई मंदिर है जहां जन्माष्टमी के दिन प्रातः काल में भगवान की मंगला आरती हो रही है तो आप वहां भी जा सकते हैं और उसका दर्शन कर सकते हैंलेकिन जन्माष्टमी के दिन सबसे पहले भगवान के सुंदर स्वरूप का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
मंगला आरती के बाद यदि आपके घर में भगवान के विग्रह हैं तो उन्हें स्नान करवाइए। स्वच्छ वस्त्र पहनाए और उन्हें भोग अर्पित कीजिए। उसके बाद तुलसी देवी की पूजा करिए उन्हें जल अर्पण करिए और उनकी प्रदक्षिणा करिए। अब उनके समक्ष बैठकर हरे कृष्ण महामंत्र यानी हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे इस महामंत्र की कम से कम 16 माला 25 32 या 64 माला का जप करिए। हो सकता है कि आप सभी माला एक साथ बैठकर प्रातः समय में ना कर पाए कोई बात नहीं जितना भी सुबह कर सकते हैं करिए बाकी माला दिन के समय में भी की जा सकती है।
अब जन्माष्टमी के दिन प्रत्येक व्यक्ति को उपवास का पालन करना चाहिए एकादशी की तर तरह ही इस दिन भी जो व्यक्ति अन्न भोजन खाता है उसे नर्क में जाना पड़ता है। इसलिए जन्माष्टमी के दिन भी किसी भी प्रकार से अन्न का सेवन ना करें। कई भक्त इस दिन संपूर्ण निर्जला उपवास का पालन करते हैं और रात्रि में 12:00 बजे भगवान का अभिषेक होने के बाद उसी चरणामृत का पान करके व्रत खोलते हैं। लेकिन सभी के लिए यह संभव नहीं हो पाता है तो आप दिन में एक या दो बार जल के साथ फल या दूध लेकर भी उपवास कर सकते हैं। अगर बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं है तो जन्माष्टमी के दिन पका हुआ भोजन भी नहीं लेना चाहिए। लेकिन गर्भवती महिलाओं बच्चों वृद्धों या फिर बीमार लोगों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है वे ले सकते हैं।
संपूर्ण समय अपने मन में भगवान श्री कृष्ण का स्मरण और चिंतन करना चाहिए कोई भी भौतिक बातें या विचार नहीं इस दिन अधिक से अधिक हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना चाहिए परम भगवान श्री कृष्ण कृष्ण की कथा सुननी चाहिए और श्रीमद् भागवत से भगवान की लीलाओं को पढ़ सकते हैं इस दिन आप अपने किसी नजदीक के मंदिर में जाकर सेवा भी कर सकते हैं जब आप उपवास द्वारा तपस्या करके भी भगवान की कोई सेवा करते हैं तो इससे भगवान अत्यधिक प्रसन्न होते हैं इसलिए इस दिन किसी भी इकन मंदिर में या फिर अपने नजदीक के कोई भी मंदिर में जाइए और उनसे सेवा मांगिए।
इस दिन अपने मन को संपूर्ण रूप से भगवान श्री कृष्ण के ऊपर केंद्रित रखना चाहिए और किसी भी प्र प्रकार की भौतिक चर्चा समय व्यर्थ करना और क्रोध नहीं करना चाहिए। इस दिन टीवी सीरियल्स इत्यादि देखने में समय ना गवाएं। किसी की निंदा या चुगली ना करें। अनावश्यक भौतिक चर्चा से अपने आप को दूर रखें। ऐसे कार्य करें जो आपके मन और चेतना को श्री कृष्ण के साथ जोड़ने में सहायक बनते हैं। और धन से भगवान की सेवा हेतु आपको इस दिन सुयोग्य व्यक्ति को या फिर अपने किसी भी नजदीक के मंदिर में जाकर भगवान की सेवा के लिए दान अवश्य देना चाहिए। इससे आपके धन का तो शुद्धीकरण हो ही जाता है साथ-साथ आपको पुण्य भी प्राप्त होता है।
यदि आप अपने घर पर जन्माष्टमी मना रहे हैं तो इस प्रकार अभिषेक कर सकते हैं। भगवान का अभिषेक करने के लिए आपको एक पात्र जल एक पात्र दूध एक पात्र दही और एक पात्र मधु की आवश्यकता होगी। इसके साथ-साथ आप एक पात्र पानी में गुड़ या चीनी मिलाकर जल तैयार कीजिए। इसके साथ एक पात्र में हल्का सा गर्म पानी लें और एक छोटे बर्तन में हल्दी और अलग बर्तन में घी भी रख लें इन सभी पात्रों में एक-एक तुलसी का पत्ता भी रखें।
अभिषेक का आरंभ करते हुए सबसे पहले शुद्धोधन यानी जल से स्नान करवाइए ।उसके पश्चात पंचामृत स्नान यानी दूध, दही, घी, मधु और गुड़ मिश्रित जल से स्नान करवाइए। उसके पश्चात फलों के रस से स्नान तत्पश्चात उष्णोटोमो दक स्नान के बाद चूर्ण स्नान जिसमें हल्दी पाउडर जल में मिश्रित करें अथवा भगवान के विग्रह पर हल्दी का लेप लगाएं उसके पश्चात फिर से शुद्धोधन यानी शुद्ध जल से स्नान करवाइए। और अंत में अधिक से अधिक सुगंधित पुष्प से अभिषेक करिए अभिषेक संपूर्ण होने के बाद भगवान को स्वच्छ करके नए वस्त्र पहनाए आभूषणों से उन्हें अलंकृत कीजिए और उनकी आरती करके भोग अर्पण करिए।
इस दिन आप उनके लिए विशेष मिष्ठान में माखन मिश्री श्रीखंड पेड़ा खीर मालपुआ इत्यादि बना सकते हैं और भी स्वादिष्ट और सात्विक भोजन बनाकर आप इस दिन भगवान को अर्पित कर सकते हैं लेकिन प्रयास करें कि बाहर से लाया हुआ आहार अर्पित ना करें अभिषेक पूर्ण होने के बाद अब आप उस चरणामृत का पान करें और यदि आवश्यकता है तो एकादशी प्रसाद के साथ मध्यरात्रि में अपना व्रत खोल सकते हैं तो इस प्रकार हमें भगवान श्री कृष्ण के आविर्भाव दिवस का उत्सव मनाना चाहिए इस संपूर्ण व्रत का पालन करना चाहिए
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