Nag panchami 2024 : दोस्तों श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है। श्रवण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा की जाती है।पंचांग के अनुसार, इस साल 9 अगस्त 2024 को नागपंचमी मनाई जाएगी। सर्प की पूजा की जाती है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन जब हम नाग देवता की पूजा करते हैं, सर्प की पूजा करते हैं तो इससे सर्प के भय से मुक्ति मिलती है। जैसे कई लोगों को स्वप्न में सर्प के दर्शन होते हैं मतलब स्वप्न में उन्हें साफ दिखाई देते हैं, सांप उनको काटते हुए दिखाई देते हैं या सांप उनके पीछे भागते हुए दिखाई देते हैं। वो स्वप्न में भी सांप से बहुत डरते हैं।
तो ऐसी अवस्था में आपको आज के दिन नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए क्योंकि नाग देवता की पूजा करने से आपको सर्प के स्वप्न से भी मुक्ति मिलती है और सर्प के भय से भी मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार अगर नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना की जाती है, उनका अभिषेक किया जाता है तो सर्पियोनी से भी मुक्ति मिलती है और अगर आपकी जन्म कुंडली में किसी भी प्रकार से राहु केतु से संबंधित कोई दोष है या फिर काल सर्प दोष है तो ऐसे में आपको आज के दिन विशेष रूप से भगवान शिव के साथ नाग देवता की भी आराधना करनी चाहिए क्योंकि नाग पंचमी के दिन की गई विशेष पूजा से काल सर्पदोष से मुक्ति मिल जाती है
Nag panchami 2024 : पंचमी की तिथि कब प्रारंभ हो रही है, कब समाप्त हो रही है और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा और आज के दिन नाग देवता की पूजा किस प्रकार से करनी चाहिए? काल सर्पदोष से मुक्ति पाने के लिए किस प्रकार से नाग देवता की आराधना करे, भगवान शिव की पूजा किस प्रकार से करे, सभी प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी आपको आज शेयर करने वाली हूँ। इसके साथ ही कुछ बहुत महत्वपूर्ण उपाय शेयर करने वाली हूँ जिन्हें आप आज के दिन जरूर करें। और हाँ, अगर आपके घर में पूजा होती है नाग पंचमी की तब तो बहुत अच्छी बात है।
घर परिवार में जीस प्रकार से पारंपरिक पूजा होती है। आपको नाग पंचमी की पूजा उस प्रकार से करनी चाहिए लेकिन अगर आपके यहाँ नाग पंचमी की पूजा नहीं होती है मतलब आप नहीं जानते है कि किस प्रकार से पूजा करनी चाहिए। तो इस वीडियो को अंधे तक जरूर देखिए। आपको एक सही जानकारी के नाग पंचमी के दिन किस प्रकार से आसान विधि से पूजा करके और नाग देवता की भी कृपा प्राप्त हो सकती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा भी प्राप्त सकती है और सभी प्रकार के से आपको मुक्ति मिल जाए इसके लिए बहुत ही आसान पूजा विधि और उपाय भी आपसे शेयर करने वाली हूँ।
तो सबसे पहले जान लेते हैं कि नाग पंचमी की तिथि का प्रारंभ हो रही है। कब समाप्त हो रही है और नाग पंचमी कब है? देखिए हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 9 अगस्त को रात्रि में 12:36 पर प्रारंभ हो रही है और समाप्त होगी 10 अगस्त को रात्रि में 3:14 पर। ऐसे में सूर्योदय कालीन तिथि के अनुसार 9 अगस्त को यानी की शुक्रवार के दिन नाग पंचमी मनाई जाएगी।
अब बात करें कि नागपंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है तो देखिए नागपंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त आपको प्राप्त हो रहा है। 9 अगस्त को सुबह 5:47 से सुबह 8:27 तक इस समय में आपको नाग देवता की पूजा करना चाहिए और विशेषकर जो नाग पंचमी की पूजा होती है वो प्रातःकाल में ही की जाती है। सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करने के बाद, स्वच्छ वस्त्र धारण करके और घर की जो सबसे बड़ी महिला होती है, विशेषकर वही पूजा करती है तो पहले के समय में इस तरीके से जॉइंट फैम्ली हुआ करती थी, जहाँ पर बड़ी जो महिलाएं होती थी, घर की जो बड़ी बुजुर्ग होती थी, वही पूजा करती थी।
लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है क्योंकि ज्यादातर लोग सिंगल फैम्ली में ही रहते हैं तो घर की जो भी महिला है उन्हें विशेष कर पूजा करनी चाहिए। लेकिन बाकी के सभी सदस्य भी आज के दिन शिवलिंग का अभिषेक जरूर करें। देखिए जब हम भगवान शिव का अभिषेक करते हैं तो इसके साथ ही नाग देवता की पूजा हो जाती है।
आज प्रयास करें कि घर का प्रत्येक सदस्य चाहे वह छोटा बच्चा हो या बड़ा हो या कोई बुजुर्ग हो, स्त्री हो, पुरुष हो, शिवलिंग का अभिषेक अवश्य करें। इससे बहुत सारे दोस्त जन्म कुंडली के समाप्त हो जाते हैं। देखिए नागपंचमी कोई छोटा पर्व नहीं होता है। नाग पंचमी बहुत बड़ा पर्व होता है। इस 1 दिन अगर आप भगवान शिव का अभिषेक करते हैं तो इससे आपको कुंडली में किसी भी प्रकार का ग्रह दोष हो, उससे मुक्ति मिल जाती है। चाहे राहु केतु जनित कोई बीड़ा हो या फिर आप कालसर्प दोष से परेशान है। आज के दिन शिवलिंग का अभिषेक कीजिए। अभिषेक के लिए आज कोई विशेष सामग्री नहीं होती है।
आप चाहें तो पंचानित्य अभिषेक कर सकते हैं, लेकिन नागपंचमी का जो विशेष अभिषेक होता है, जो हम नागों को भी उसी द्रव्य से अभिषेक करते हैं, भगवान शिव का भी उसी द्रव्य से अभिषेक करते हैं तो उसके लिए आपको थोड़ा सा कच्चा दूध चाहिए, गाय का मिल जाए। दूध तो सर्वोत्तम है और गाय का दूध नहीं मिलता है। आपको तो जो भी दूध आपके पास उपलब्ध हो आपको दूध ले सकते हैं। थोड़ी सी आप उसमें मिश्री डाल दीजिए या बताशा डाल दीजिए और उसी पात्र में आपको थोड़ा सा खेल डालना होता है। खेल वो जो हम दिवाली पर प्रयोग करते हैं। पूजा के लिए वही वाली खेल बहुत से स्थानों पर उसे लावा बोला जाता है।
आज के दिन इसी खील या लावा का प्रयोग होता है नाग देवता के अभिषेक के लिए भी और इसी से आपको शिवलिंग का भी अभिषेक करना चाहिए। तो आज के दिन भगवान भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा के लिए बस आपको ये तीन ही सामग्री चाहिए। थोड़ा सा कच्चा दूध, मिश्री या बतासा और इसके अलावा खेल ये तीन वस्तुएं मिलाकर भगवान शिव की भी पूजा करे और नाग देवता की भी पूजा करे और इतने मात्र से ही आपको समस्त प्रकार के ग्रह दोषों से कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिल जाती है और ये बहुत ही साधारण विधि है। बहुत ही आसान उपाय है और बहुत ही असरदार उपाय है।
इस उपाय को अगर आप आज के दिन करते हैं तो निश्चित ही आपको भगवान शिव और नाग देवता की कृपा से जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है और हर प्रकार के भय से आपको मुक्ति मिल जाती है। और अब बात करें विशेष पूजा की जो की पारंपरिक पूजा होती है तो आज के दिन वैसे अगर ग्रामीण क्षेत्रों की बात करी जाए तो पूरे घर को गोबर से लीप दिया जाता है और इसके बाद गाय के गोबर से घर के मुख्य द्वार पर चौखट पर नाग देवता बनाई जाती है। नाग देवता की आकृति बनाई जाती है और इसके बाद पंचोपचार विधि से उस नाग देवता की पूजा की जाती है जैसे कि अक्षत और पुष्प इत्यादि उस नाग के चित्र पर अर्पित किया जाता है। तो अगर आपके यहाँ इस प्रकार से पारंपरिक पूजा होती है तो जरूर आपको इसी प्रकार से करनी चाहिए।
अगर आपके पास गाय का गोबर उपलब्ध है तो आप गाय के गोबर से आकृति बना सकते हैं। घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ चौखट के दोनों तरफ आपको ये आकृति बनानी होती है। सांपों की दो दो सांप दोनों तरफ बनाने होते हैं। नाग नागिन का जोड़ा और उसके बाद उस नाग देवता के चित्र पर आपको थोड़ा सा अक्षत अर्पित करना चाहिए। हल्दी से और कुमकुम से तिलक करना चाहिए और एक पात्र में दूध लेकर उस दूध के छींटे उस नाग देवता के ऊपर दिए जाते हैं लेकिन दीपक नहीं प्रज्वलित करना चाहिए। दीप नहीं दिखाना चाहिए। नाग देवता को इस बात का ध्यान रखिएगा और अब आपका प्रश्न हो सकता है कि
अगर हमारे पास गोबर उपलब्ध ना हो तो हम नाग देवता का चित्र किस प्रकार से अंकित करें? देखिए तो ऐसे में आप गेरू का प्रयोग कर सकते हैं या फिर हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं। हल्दी में थोड़ा सा जल मिलाकर इसी हल्दी से आप नाग देवता का चित्र बना कर उनकी ही विधिवत पूजा आराधना आप कर सकते है और जिनके यहाँ ऐसी व्यवस्था नहीं है की वो मुख्य द्वार पर ये चित्र बना पाए तो अपने घर में अपने पूजा स्थल पर आप एक थाली में या एक प्लेट में नाग नागिन का इसी प्रकार से जोड़ा अंकित करके उसका भी आप पंचोपचार पूजन कर सकते है तो ये नाग पंचमी की पूजन विधि है।
बहुत आसान बहुत सरल पूजा विधि है, लेकिन आज के दिन करना सबको जरूर चाहिए क्योंकि हमारे धार्मिक शास्त्रों में कही ना कही नाग देवता को रक्षक के रूप में देखा जाता है।जैसे भगवान शिव के गले में नाग देवता रहते है और भगवान श्री हरी विष्णु शेष नाग की सहिया पर। मेघ राजमान होते हैं तो कहीं ना कहीं नागों की पूजा से देवता भी प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती हैं। तो आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है।
प्रत्येक सरातन धर्म को नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए और अब बात करते हैं अगर आप काल सर्प दोष से बहुत अधिक परेशान है तो आपको कौन सा उपाय करना चाहिए। देखिए अगर आप काल सर्वदोष से परेशान है जैसे कि आपकी जन्म कुंडली में सारे ग्रह राहु केतु के मध्य में ही विराजमान है तब आपकी जन्म कुंडली में काल सर्वदोष होता है और काल सर्पदोष का परिणाम क्या होता है, जैसे की आप किसी काम पर बहुत मेहनत कर रहे हैं। आप बहुत प्रयास कर रहे हैं और आपको अपने मन में यह उम्मीद भी है कि यह कार्य सफल होने वाला है। आपने पूरी मेहनत करी और अंत समय में जब कार्य सफल होने वाला होता है, उसी समय में आपका काम बिगड़ जाता है।
कई बार शादियां तय होती है और अंत समय में अंतिम दिन पर शादियां टूट जाती है या फिर कई बच्चे पढ़ने में बहुत अच्छे होते हैं। ऐसा लगता है कि यह बच्चा आगे चलकर बहुत अच्छा कुछ बन सकता है। इस बच्चे का भविष्य बहुत उज्वल है ऐसा माँ बाप को भी लगता है। लेकिन पढ़ाई में कुछ इस प्रकार के व्यवधान आ जाते हैं कि उस बच्चे की पढ़ाई ही रुक जाती है। बाधित हो जाती है उस बच्चे की सफलता ये सभी परिणाम होते हैं काल सर्पदोष के तो काल सर्पदोष का निवारण बहुत आवश्यक होता है और नाग पंचमी का दिन इसके लिए सबसे श्रेष्ठ दिन माना जाता है।
तो ऐसे में आप संकल्पित रूप से मतलब उस व्यक्ति के निमित्त ही आप आज के दिन पूजा करवाइए, रुद्राभिषेक घर में रखना चाहिए और विद्वान ब्राह्मण के द्वारा ये पूजा पूरी तरह से अच्छे से विधि विधान से अगर करवाई जाए तो काल सर्पदोष से मुक्ति मिल जाती है और मान लीजिए कि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो ऐसे में आज आपको भगवान शिव के ऊपर शिवलिंग के ऊपर चांदी का नाग नागिन अर्पित करना चाहिए। जैसे कि कच्चा दूध आपर्पित करेंगे, जो भी सामग्री मैंने पूजा की बताई शिवलिंग पर अर्पित करने के लिए वो सभी द्रव्य के द्वारा भगवान शिव का अभिषेक कीजिए और इसके बाद नाग नागिन का जोड़ा भगवान शिव को अर्पित कीजिए और उनसे प्रार्थना कीजिए कि काल सर्कद से मुझे मुक्ति मिले।
यह उपाय आप मंदिर में जाकर करेंगे और जो नाग नागिन आप शिवलिंग पर अर्पित करेंगे, उसे वही आप छोड़कर अपने घर आ जाएंगे।लेकिन अगर आपके घर के आसपास कोई शिवालय नहीं है, कोई शिवलिंग नहीं है तो ऐसे में आप अपने घर में भी ये उपाय कर सकते हैं। एक प्लेट में एक थाली में आप नाग नागिन का जोड़ा रख दीजिए। अच्छा नाग नागिन आप किसी भी धातु का ले सकते हैं, चांदी का भी ले सकते हैं। चाहे तो तांबे या पीतल का भी ले सकते हैं। और नाग और नागिन दो होने चाहिए। मतलब दो साप होते हैं, लेटे हुए सांप होते हैं। चलते हुए इसी प्रकार से आपको दो लेना है।
एक थाली में आप उसे रख लीजिए और उसी की विधिवत पूजा कर लीजिए जैसे कि आप उनका अभिषेक कीजिए, कच्चे दूध में मिश्री और खिल मिलाकर मतलब लावा मिलाकर आप नागों का अभिषेक करेंगे।उसके बाद जल से अभिषेक करेंगे और इसके बाद हल्दी से कुमकुम से तिलक कीजिए। अक्षय तर्पित कीजिए, पुष्प अर्पित कीजिए जब आपकी पूजा पूर्ण हो जाती है तब आप इस नाग नागिन के जोड़े को जल में प्रवाहित कर दीजिए। बहते हुए जल में प्रवाहित किया जाता है और साफ बहता हुआ जल होना चाहिए। किसी भी नाले में या गन्दी जगह पर इस नाग नागिन की जोड़ी को विसर्जित नहीं करना चाहिए।
अब बात करते हैं कि किस मंत्र के जब्त के द्वारा आज आपको पूजा करनी चाहिए। देखिए नागों के नौ नाम बताए गए हैं इन नौ नामों के द्वारा जब हम नाग देवता की पूजा नागपंचमी के दिन करते हैं तो बहुत शीघ्र हमें सर्प के भय से मुक्ति मिलती है। काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और उन नौ नागों के नाम है अनंतम, वासुकिम, सेषम, पद्मनाभम, चकम्बलम, शंख, पालम, धृतराष्ट्र्रम तक शकम तथा। ऐतानी नव नामानी नागा नाम च महात्मा नाम सायंकालम पठी नित्यं प्रातः काली विशेषता तस्य विशभयम नास्ती सर्वत्र विजयी भवित अर्थात नौ नाग देवताओं के नाम जिसमे अनंत वासुकी शेष।
पद्मनाभ, कम्बल, शंख, पाल, धृतराष्ट्र, तक्षक तथा कालिया है। अगर रोजाना सुबह शाम नियमित रूप से इनका जप्त किया जाए तो नाग देवता आपको सभी पापों से सुरक्षित रखते हैं और आपके जीवन को समस्त प्रकार की सफलता प्रदान करते हैं। मतलब हर जगह आपकी विजय होती है। चाहे तो इन सभी नाग देवताओं के नाम के साथ इनकी पूजा कर सकते हैं या फिर वन शिव के किसी भी मंत्र के द्वारा, जैसे कि पंचाक्षर मंत्र अगर आपको आता हो महा मृत्युंजय मंत्र आता हो या रुद्राष्टाध्याय का।
अगर आपको आता हो तो आज के दिन वृद्धाश्राध्यायी का पाठ करते हुए शिवलिंग का अभिषेक अगर आप करते हैं तो इससे सभी प्रकार के ग्रह दोषों से आपको मुक्ति मिल जाती है। देखिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है।
जितना भी संभव हो सके और जीस भी प्रकार से संभव हो सके शिवलिंग के दर्शन अवश्य कीजिए। शिवलिंग पर थोड़ा सा कच्चा दूध अवश्य अर्पित कीजिए। अगर आप सिर्फ इतना भी कर लेते हैं तो इतने मात्र से ही भगवान भोलेनाथ के साथ नाग देवता की कृपा आपको प्राप्त हो जाती है और सभी प्रकार के ग्रह दोष काल सिर्फ दोष इन सभी प्रकार के दोषों से आपको मुक्ति मिल जाएगी। तो आशा करती हूँ कि ये वीडियो आपके लिए अवश्य उपयोगी होगी। मैं मिलती हूँ आपसे अगली वीडियो में तब तक के लिए नमस्कार।