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Raksha bandhan 2024: रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे चालू हुआ पोराणिक कथा।

The mythological story of how the festival of Rakshabandhan started.

Raksha bandhan 2024: नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है जैसा कि हम सभी जानते हैं कि श्रावण का माह शिव भक्ति का माह माना जाता है। इस माह में पूरा संसार जैसे शिवमय हो जाता है। और इसके साथ ही श्रावण मास की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का उत्सव भी मनाया जाता है। पर क्या आप जानते हैं? Raksha bandhan 2024 रक्षाबंधन का पर्व कैसे शुरू हुआ था? किस प्रकार एक भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देकर उसके लिए प्रतिबंध हो जाता है?

आज हम आपके लिए शास्त्र और ग्रंथों से रक्षाबंधन पर्व की और इसमें शिव महिमा की ऐसी कथाओं लाए हैं जिसे सुनकर आपको रक्षाबंधन पर्व का असली महत्व समझ में आएगा । देवताओं और दानवों के बीच कितनी युद्ध किए जाते थे? यह तो हम सभी जानते हैं की दानव और हमेशा यह कोशिश में होते थे कि कैसे देवताओं से अमृत को हासिल कर सके। उनके स्वर्ग पर कब्जा कर सके।

जिनके लिए दानव कई वर्षों तक तपस्या में लीन रहते थे। घोर तप किया करते थे। और वरदान स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु, और महेश से मनचाहे फल प्राप्त करते थे। जिसके इतने बुरे परिणाम देवताओं को सहन करने पड़े थे। राजा बलि जो राक्षसराज थे। उनका जन्म तो राक्षस कुल में हुआ था। उनका प्रवर्तन बाकि राक्षश जैसा नहीं था, क्योंकि महाराज बलि भक्त प्रह्लाद के पुत्र थे।

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विष्णु भक्त होने के साथ ही देवाधिदेव महादेव के परम भक्त थे। महादेव की भक्ति से कई सारी शक्ति हासिल कर ली थी। राजा बलि ने 101 यज्ञ संपूर्ण करने का अनुष्ठान किया था। तब देवताओं को चिंता होने लगी कि राजा बलि ने यह अनुष्ठान पूरा कर लिया तो स्वर्ग और अमृत दोनों ही बलि के पास चले जाएंगे। जिससे पृथ्वी पर आतंक मचा देंगे। इसी कारण देवता विष्णु के पास उपस्थित होते हैं।

श्री विष्णु देवताओं की बात सुनकर राजा के पास एक ब्राह्मण के रूप में जाते हैं, क्योंकि राजा बलि को महादानी भी कहा जाता है। इसलिए किसी भी याचक को उनके द्वारा खाली हाथ जाने नहीं देते थे। भगवान विष्णु वामन अवतार के रूप में राजा बलि के पास आते हैं, तो राजा बलि उनको कुछ मांगने को कहते हैं। जिस पर भगवान वामन उनसे तीन पग भूमि मांगते है। राजा बलि ब्राह्मण को तीन पग भूमि देने का वचन दे देते है। राजा बलि से वर प्राप्त कर भगवान् ने विराट रूप धारण कर लिया और एक पग में स्वर्ग और दूसरे पग में धरती नाप लिया। अब तीसरा पैर कहां नापते तब राजा बलि ने अपने वचन का पालन करने हेतु तीसरा पग उन्हें अपने सिर पर रखने को कहा।

राजा बलि की दानशीलता देखकर भगवान विष्णु उनपर प्रसन्न हुए और उन्हें वर मांगने को कहा तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को ऐसा वर मांगा जिसके कारण भगवान विष्णु के वैकुंठ त्याग कर पाताल लोग में पहरा देना पड़ा उधर श्री हरि विष्णु से वियोग माता लक्ष्मी को सहन नहीं हो रहा था।

मातालक्ष्मी निवारण हेतु भगवान शिवजी के पास आती है। शिवजी माता लक्ष्मी से कहते हैं कि राजा बलि वचन बद्ध पुरुष है अगर माता लक्ष्मी राजा को किसी बंधन में बांध ले तो वे श्री हरी को वैकुंठ वापस ला सकती हैं। शिवजी ने माता लक्ष्मी की सहायता हेतु अपने नागवासुकि को उनके साथ जाने का आदेश दिया माता लक्ष्मी पाताल लोक पहुंचती है और एक नाग कन्या का रूप धारण करती है वे राजा बलि के पास पहुंची है और उसे सहायता के लिए अनुरोध करती है और वासुकि जो उनकी सहायता के लिए आए थे। वे रक्षा सूत्र में बदल जाते हैं और माता लक्ष्मी राजा बलि को रक्षासूत्र बाँध देती है ।

राजा बलि माता लक्ष्मी को वचन देते हैं कि वह सदैव उनकी रक्षा करेंगे और उन्हें मनचाहा फल प्रदान करेंगे। तो माता लक्ष्मी अपने दैवीय स्वरुप में आती है और उसे श्रीहरि को मांग लेती है तब राजा बलि कहते हैं कि आज से जो भी स्त्री किसी पुरुष को रक्षासूत्र बांधकर मन से भाई मानकर अपनी रक्षा का वचन मांगेंगी तो बहन की रक्षा करने के लिए बंधन में बंध जाएगा।और इससे भाई की सारी बलाए टल जायेगी । इसलिए इसे Raksha bandhan 2024 रक्षाबंधन का पर्व कहा जाता है उम्मीद है आपको यह तथा और इसकी महिमा पसंद आई होगी।

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